The Train... beings death 9
जब वो लोग पुलिस स्टेशन पहुचें तब अरविंद उनका इंतजार कर रहे थे.. अनन्या भी साथ ही थी। दोनों बहुत ही ज्यादा निरीह लग रहे थे। हालत ऐसी के कब से बीमार हो.. काफी दिनों से चिंता के कारण खाना भी नहीं खाया था।
कदंब ने उन्हें अन्दर चलने का इशारा किया और उन्हें लेकर अपने कैबिन में चला गया। नीरज भी पीछे पीछे ही अन्दर जाने ही वाला था के एक हवलदार उसके पास आकर कुछ पूछने लगा।
अन्दर कदंब उनसे बात शुरू करने में घबरा रहा था.. जाने कैसा रिएक्शन हो उनका?? वैसे भी किसी माँ- बाप को उसके बच्चे के बारे में कुछ भी गलत बोलने से पहले पांच सौ बार सोचना चाहिए। यही सोचकर कदंब भी मन ही मन उचित शब्दों का ही संयोजन कर रहा था।
कदंब ने अरविंद से कहा, "देखिए अरविंद जी.. वैसे तो कुछ ऐसी बात पता चली है.. जिसे सार्वजनिक करना हमारे लिए उचित नहीं होगा। पर यह बात आपकी बेटी से जुड़ी हुई है.. इसीलिए मैं आपको यह बताना चाहता हूं..!!"
ऐसा कहकर कदंब ने एक गहरी सांस ली। अरविंद और अनन्या सांस रोके कदंब की बातें सुन रहे थे। कदंब को समझ नहीं आ रहा था.. कि कैसे कहे..?? उसने थूक गटका और जैसे ही बोलने के लिए मुंह खोला..
नीरज ने केबिन में आकर कहा, "सर मुझे लगता है.. हमें अभी के अभी कमिश्नर साहब के पास जाकर.. इस बारे में बात कर लेनी चाहिए..!!"
नीरज ने अंदर आते हुए बेख्याली में ही कहा तो के केबिन में बैठे.. सभी लोगों की नजरें एकदम से नीरज पर चली गई। नीरज सबको अपनी तरफ ऐसे देखता पाकर हड़बड़ा गया। उसने हकलाते हुए कहा, "स.. सॉरी.. स.. सर सॉरी.. वह मैं जल्दबाजी में कुछ कह गया..!!"
नीरज के चेहरे पर बहुत ही ज्यादा परेशानी वाले भाव आ गए थे। कदंब ने उसकी बात सुनकर एक लंबी सांस ही ली और अरविंद की तरफ देखा।
अरविंद और अनन्या असमंजस में उन दोनों के चेहरे की तरफ देख रहे थे। अरविंद ने घबराते कहा, "सर प्लीज बताइए.. बात क्या है?? आप ऐसे सस्पेंस मत बनाइए.. साफ-साफ बोलिए हुआ क्या है?? हम वैसे ही चिंकी को लेकर काफी परेशान हैं।"
अरविंद ने एक नजर अनन्या को देखा.. उसके चेहरे पर भी बहुत ही ज्यादा असमंजस और चिंता के भाव थे। वैसे ही भाव अरविंद के चेहरे पर भी थे। इंस्पेक्टर कदंब ने बोलना शुरू किया..
"देखिए अरविंद जी.. मैं आपको झूठी दिलासा नहीं दे सकता। पर आज और कल हमारे साथ कुछ ऐसा घटित हुआ है.. जिसके बारे में शायद कोई भी ना माने और मुझे लगता है.. आपकी चिंकी के साथ भी शायद ऐसा ही कोई हादसा हुआ हो..!!"
अरविंद और अनन्या के मुंह खुले के खुले रह गए थे.. जल्दबाजी में अनन्या ने कहा, "क्या मतलब है आपका.. कैसा हादसा.. कैसी दुर्घटना?? आप प्लीज साफ-साफ बताइए.. हमारी सांसे वैसे ही चिंकी के कारण नहीं चल रही हैं। अब आप इस तरह की बातें करके हमें और भी ज्यादा डरा रहे हैं।"
कदंब ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, "नहीं.. नहीं अनन्या जी..!! हमारा आपको डराने का या आपको परेशान करने का कोई भी इरादा नहीं है.. मैं बस आपको यह बताना चाहता हूं कि आजकल शहर में कुछ अजीब सी घटनाएं हो रही हैं। जो किन्ही विचित्र प्राणियों के द्वारा की जा रही हैं।"
उसके बाद कदंब ने कल की और फॉरेंसिक लैब में डॉ शीतल से हुई.. सारी बातें उन्हें बताई और साथ ही साथ यह भी बताया कि वह लोग कैसे आज वाली घटना से बचकर वहां पहुंचे थे। साथ में ही कदंब ने उन दोनों को हिदायत देते हुए कहा, "देखिए अरविंद जी..!! आप इस शहर में नए आए हैं.. यह शहर पहले से ही काफी रहस्यमई घटनाओं का साक्षी रहा है.. पर आजकल जो अजीब घटनाएं हो रही हैं.. उस हिसाब से आपका ऐसे देर रात तक ऐसे अकेले घूमना सुरक्षित नहीं है। आपको आगे से चिंकी के बारे में किसी भी तरह की कोई भी जानकारी चाहिए या उसके केस में हम लोग क्या कर रहे हैं वह जानना हो तो आप दिन में ही आइयेगा। प्लीज अंधेरा होने के बाद बाहर मत निकालिएगा..!!"
ऐसा कहकर इंस्पेक्टर कदंब ने अरविंद और अनन्या को सकुशल उनके घर पहुंचाने के लिए स्वयं ही जाने का निश्चय किया। इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही अपनी सरकारी जीप में अनन्या और अरविंद को छोड़ने उनके नए घर गए.. जहां हॉस्पिटल के सभी बड़े डॉक्टर्स के बंगले थे। वह लोकेशन उस शहर की सबसे पॉश लोकेशन भी थी.. पर रात के अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। एक बंगले के सामने अनन्या और अरविंद को इंस्पेक्टर कदंब ने उतारा और वापस अपने घर जाने के लिए मुड़ गए।
जहां वह लोग अनन्या और अरविंद को छोड़ने गए थे.. उसके विपरीत दिशा में उन लोगों का घर था। वहां जाने के लिए उसी रास्ते को पार करना पड़ता था.. जहां वह डायनासोर जैसा दिखने वाला जीव उन से टकराया था। दोनों लोग उस जीप में बैठे.. अपने भगवान को याद कर रहे थे। ताकि बिना किसी ज्यादा परेशानी के वह लोग सकुशल घर पहुंच जाएं।
इस समय रात के लगभग 3:00 बज रहे थे। उस सुनसान सड़क पर कोई परिंदा भी दिखाई नहीं दे रहा था। काफी आगे चलने के बाद रास्ते में एक परछाई उन्हें दिखाई दी.. वह परछाई लगभग 3 फुट लंबी थी और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। उस परछाई को देखते ही सब इंस्पेक्टर नीरज और इंस्पेक्टर कदंब दोनों के रोंगटे खड़े हो गए थे। दोनों के चेहरे से ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने साक्षात यमराज के ही दर्शन कर लिए थे।
उन लोगों ने जीप की स्पीड काफी कम कर दी थी। वह चाहते थे की परछाई की नजर में आए बिना वह लोग सही सलामत अपने घर पहुंच जाएं। पर बदकिस्मती से उस परछाई ने उन्हें देख लिया था। जल्दी ही उस परछाई ने उन लोगों की तरफ दौड़ लगा दी। नीरज जो कि इस समय जीप चला रहा था.. उसने एकदम से जीप को ब्रेक मारा और आंखे बंद कर के भगवान से अपने अंतिम समय जानकर प्रार्थना करने लगा। कदंब की हालत भी कमोबेश ऐसी ही थी।
"अंकल..!! पुलिस अंकल..!!" एक छोटी बच्ची की आवाज से उन दोनों ने अपनी आंखें खोली। आंखें खोलने पर उन दोनों ने देखा एक लगभग 8 साल की बच्ची उनके सामने खड़ी उन्हें पुकार रही थी। गोल मटोल प्यारी सी, बड़ी बड़ी बोलती आंखें, गोरा रंग और बिखरे बालों की दो चोटियां। वो बहुत ही प्यारी लग रही थी साथ ही साथ देखी हुई सी भी। इस सुनसान अंधेरी रात में उन्हें ऐसे किसी भी छोटे बच्चे के मिलने की कोई भी आशा नहीं थी। पर अब वह लोग इस बच्ची के मिलने के कारण थोड़े से घबरा भी गए थे। क्योंकि उन्हें लगा कि कहीं यह बच्ची भी कल मिले.. जानवर की तरह की ही.. कोई जीव ना हो। वो बस खोए हुए छोटी बच्ची को ही देख रहे थे।
तभी एक मीठी सी आवाज ने उन्हें वर्तमान में ला दिया। "अंकल आप पुलिस अंकल है ना..!! मेरे पापा के साथ मैं यहां रहने आई थी। पर अब वो पता नहीं कहां हैं?? आप मुझे पुलिस स्टेशन ले चलेंगे.. मुझे वहां कंप्लेंट लिखानी है।" छोटी बच्ची ने अपने मासूम चेहरे को अजीब सा बनाते हुए कहा। उस समय उस की शक्ल देख कर किसी को भी उस पर स्नेह आ सकता था।
इं. कदंब ने नीरज की तरफ देखा और बच्ची को जीप में बैठाने का इशारा किया। नीरज ने जीप से उतरकर बच्ची को जीप के अंदर बिठाया। उन्होंने उसे अपने साथ आगे ही बिठा लिया ताकि उससे बातें कर के उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। उन्हें इस बात का डर भी था कि जिस जगह अभी उनकी जीप खड़ी थी.. उसी जगह उन्हें थोड़ी देर पहले ही वह विचित्र जानवर देखने को मिला था। अभी भी उनकी हालत उस जानवर को देखने के कारण खराब हो रही थी।
उसकी याद आ गई आते ही उनके चेहरे पर पसीने की बूंदें चमक आई थी। उन्हे पसीने से भीगे हुए इस बच्ची ने देखा तो अपने फ्रॉक में रखे हुए रुमाल को इंस्पेक्टर कदंब की तरफ आगे बढ़ाते हुए पूछा, "क्या हुआ अंकल..?? कोई प्रॉब्लम है।"
इंस्पेक्टर कदंब इस अप्रत्याशित सवाल से थोड़ा चौक गए। उन्होंने देखा कि वह छोटी बच्ची अपने हाथ में एक रुमाल पकड़े हुए थी.. जो उसने उस समय इंस्पेक्टर कदंब की तरफ बढ़ाया हुआ था और सवालिया नजरों से इंस्पेक्टर कदंब की तरफ ही देख रही थी। इंस्पेक्टर कदंब ने हडबडाते हुए रुमाल लिया और उस बच्ची की तरफ देखते हुए पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है बेटा?? और तुम इस समय इतनी रात को यहां क्या कर रही हो??"
अब तक इंस्पेक्टर कदंब अपने आप को संभाल चुके थे। उस बच्ची ने मासूम शक्ल बनाते हुए आखें मटकाते हुए कहा, "मेरा नाम चिंकी है..!!"
चिंकी का नाम सुनते हुए ही उन लोगों के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए। जिस बच्ची के लिए वह लोग कल से परेशान थे। एकदम से वह उनके सामने आकर खड़ी हो गई थी।
नीरज ने चिंकी का नाम सुनते ही एक जोरदार ब्रेक मारा.. जिसके कारण वो सभी लोग आगे बोनट से टकराते टकराते बचे। इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज को डांटते हुए कहा, "यह क्या है नीरज?? तुम्हें पता है ना ऐसे ब्रेक नहीं मारना चाहिए और अगर साथ में कोई छोटा बच्चा हो तो गाड़ी चलाते समय और भी ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए।"
नीरज ने हडबडाते हुए कहा, "स.. स.. सॉरी सर..!! वो एकदम से चिंकी का नाम सुनते ही मुझे थोड़ा सा शॉक लगा।"
चिंकी अभी भी उन दोनों की तरफ टुकुर टुकुर देख रही थी। वो भी अब हालात को समझने की कोशिश कर रही थी। उसे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज से कहा, "नीरज अब जो भी बातें करनी है हम पुलिस स्टेशन पहुंच कर ही करेंगे। इसलिए जल्दी से जल्दी तुम जीप को पुलिस स्टेशन की तरफ लो।"
नीरज ने जीप स्टार्ट करके उसे पुलिस स्टेशन की तरफ दौड़ा दिया। लगभग 10 मिनट के बाद वह लोग पुलिस स्टेशन के बाहर खड़े थे। वह लोग जल्दी से उतरे और चिंकी को भी जीप से उतारा और फटाफट पुलिस स्टेशन के अंदर चले गए।
अंदर जाकर इंस्पेक्टर कदंब ने चिंकी को वहीं कुर्सी पर बैठाया और उससे पूछा, "चिंकी बेटा.. तुम्हें भूख लगी है??"
चिंकी ने मासूमियत से सर हिला कर हां कहा तो इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज को उस बच्चे के लिए कुछ खाने पीने की व्यवस्था करने के लिए कहा। नीरज फटाफट से एक गिलास दूध और कुछ बिस्किट लेकर आ गया और चिंकी को देते हुए कहा, "इस टाइम बेटा आपको इसी से काम चलाना होगा।" ऐसा कहकर उसने चिंकी के सर पर प्यार से हाथ फेरा।
चिंकी को काफी तेज भूख लगी थी इसलिए उसने भी जल्दी ही बिस्किट खाकर दूध पी लिया। तब तक इंस्पेक्टर कदंब और नीरज उसके बोलने की राह देख रहे थे। खा पीकर चिंकी ने उन्हें थैंक्स बोला।
चिंकी ने इंस्पेक्टर कदंब और नीरज की तरफ देखते हुए कहा, "थैंक यू अंकल…!! मुझे इस टाइम बहुत तेज भूख लगी थी। कल से मैंने सिर्फ थोड़े से चिप्स ही खाए थे। थैंक यू..!!"
चिंकी के इतना कहने पर उन लोगों ने चिंकी से सवाल करना शुरू कर दिया।
"चिंकी बेटा..!! आप कल से कहां थी?? आपके मम्मी पापा बहुत ही ज्यादा परेशान हो रहे थे। वह यहां के कई चक्कर भी लगा चुके हैं।" नीरज ने उत्सुकता से पूछा।
चिंकी ने एक लंबी सांस ली और उन्हें बताना शुरू किया। चिंकी ने कहा, "अंकल..!! हम लोग कल रात को ही यहां पर आए थे.. पापा को लेने कोई अंकल आने वाले थे.. पर हमारी ट्रेन लेट हो गई थी तो पापा ने उन अंकल को रात को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा। इसलिए पापा ने उन्हें फोन नहीं किया और वह आस पास ही कोई होटल ढूंढने के लिए बाहर चले गए। थोड़ी ही देर में मेरी मम्मी जो वही बैठी हुई थी वह सो गई और उसके बाद वहां पर एक ट्रेन आकर रुकी। मैं उस ट्रेन में चढ़ गई.. मेरे चढ़ते ही ट्रेन चल दी और मैं उस सी ट्रेन के साथ यहां से चली गई।"
जैसे-जैसे चिंकी उसके साथ हुई घटनाएं बताती जा रही थी.. इंस्पेक्टर कदंब और नीरज के साथ-साथ पुलिस स्टेशन में उस समय ड्यूटी पर तैनात सभी कांस्टेबलों की आंखें भी विस्मय और डर के कारण फैलती जा रही थी।
क्रमशः...
Punam verma
26-Mar-2022 03:12 PM
क्या सच में चिंकी वापिस आ गयी है?
Reply
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
24-Mar-2022 11:43 PM
आगे का भाग तो और इंट्रेस्टिंग है। 😍 अब देखते है पुलिस वालो ख सामने और कौन-कौन से खुलासे होते है और उन आत्माओ की मुक्ति के लिए शायद से पुलिस को भी कुछ करना पड़े तो वह क्या करेंगे!😍😍
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Sana khan
01-Sep-2021 06:05 PM
Waah
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